GST परिषद की 52 वीं बैठक 7 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें कई मुद्दे उठाए गए थे। इस बैठक में, राज्यों के राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए प्रारंभ में पांच वर्षों के लिए कदम उठाया गया था, लेकिन अब सरकार 2026 के बाद इस पर विचार करेगी।
GST परिषद महत्वपूर्ण मुद्दे :
1. GST परिषद की मार्च 2026 के बाद रुक्षता उपकर के बारे में चर्चा।
2. GST परिषद का पांच-वर्षीय रुक्षता योजना।
3. रुक्षता उपकर मुद्दे के समाधान के लिए समय सीमा।
GST परिषद 2023
इस बैठक में, GST परिषद ने विभिन्न विषयों पर चर्चा की, जैसे कि आदर्श राज्यों के लिए गूढ़वाचन प्रणाली, अनिवार्य रूप से वाणिज्यिक सामग्री पर जीएसटी लागू करने की बात, और व्यापारी और उत्पादकों के लिए आसानी से सजग रहने के उपाय।
राज्य सरकारें, खासकर गैर भाजपा शासित राज्यों की, ने जीएसटी की निर्धारण दरों में संशोधन की मांग की थी क्योंकि वे इसे अपने राज्यों के व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने के उपाय के रूप में देख रहे थे।
केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान कर्ज लिया था ताकि आर्थिक परिस्थितियों को सुधारा जा सके, और इस बैठक में इसके प्रभाव की चर्चा भी हुई।
इसके अलावा, इस बैठक में आर्थिक सुधार के लिए और विभिन्न आर्थिक चुनौतियों का समाधान ढूंढने के लिए अनुसंधान और योजनाएँ बनाने की चर्चा भी हुई।
इस समय, केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के प्रभाव से जूझ रही थी और अपने आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव दिया। इसके अलावा, राज्यों ने अपने राजस्व को बढ़ाने और अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए उनके स्वरूप के बदलाव की मांग की थी।
इस बैठक के परिणामस्वरूप, GST परिषद ने विभिन्न आर्थिक मुद्दों पर विचार किया और भारतीय अर्थव्यवस्था की सुधार के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
GST परिषद मार्च, 2026 के बाद विलासिता वाली वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर लगाकर जमा किए गए राजस्व के बंटवारे पर चर्चा करेगी। एक अधिकारी ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान राज्यों को हुई राजस्व हानि की भरपाई के लिए केंद्र ने जो कर्ज लिया था, उसे चुकाने की समयसीमा मार्च, 2026 है।G
GST परिषद को लागू करने के बाद राज्यों के राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए शुरू में पांच वर्षों के लिए क्षतिपूर्ति उपकर लाया गया था। क्षतिपूर्ति उपकर जून, 2022 में समाप्त हो गया, लेकिन इसके जरिये जमा की गई राशि का इस्तेमाल 2.69 लाख करोड़ रुपये के मूलधन और ब्याज को चुकाने के लिए किया जा रहा है, जो केंद्र ने कोरोना के दौरान कर्ज लिया था।
GST परिषद की इस चर्चा का मुख्य उद्देश्य है विवादित मुद्दों को हल करना और वस्तुओं पर लागू होने वाले टैक्स और करों के विवादों को सुलझाना। विलासिता वस्तुओं पर क्षतिपूर्ति उपकर के बंटवारे का निर्धारण राज्यों के और केंद्र सरकार के बीच तय करने का महत्वपूर्ण पैमाना है।
कोरोना महामारी के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए कर्ज लिया था, जिसका पुनर्भुगतान अब चर्चा का विषय बन रहा है। इसके साथ ही, यह चर्चा भी यह निर्धारित करेगी कि कितनी राशि इस कर्ज के चुकाने में लगेगी और कैसे इसे वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करने के लिए उपयोग किया जाएगा।
इस चर्चा के नतीजे के आधार पर जीएसटी के निर्धारण और अपने सदस्य राज्यों के राजस्व नीतियों में संशोधन की संभावना है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद कर सकता है।
GST परिषद 2023
GST परिषद की 52वीं बैठक ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा की, जिसमें मार्च 2026 के बाद क्षतिपूर्ति उपकर को लेकर विचार किया गया। इसके साथ ही, इस बैठक में अन्य आवश्यक मुद्दों पर भी विचार किया गया, जैसे कि राज्यों के राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए पांच वर्षों की योजना का आरंभ करने का प्रस्ताव।
यह मुद्दा गैर भाजपा शासित राज्यों द्वारा उठाया गया और केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान कर्ज लिया था, जिससे वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ा। इस प्रस्ताव पर चर्चा करने से पहले, समय के साथ इसके बारे में और जानकारी और विचार जुटाया जाएगा।
केंद्र ने जो कर्ज लिया था, उसे मार्च 2026 में चुकाने की योजना बनाई है।
जीएसटी को लागू करने के बाद, राज्यों के राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए एक पांच वर्षीय योजना का आरंभ किया गया था। अन्य उपकर जून 2022 में समाप्त हो गया, लेकिन इसके माध्यम से जमा की गई राशि का उपयोग अब मूलधन और ब्याज के चुकाने के लिए किया जा रहा है, जिसे केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान उधार लिया था।
GST परिषद को अब इसके नाम और वितरण के तरीकों के संबंध में ‘जीएसटी अन्य उपकर’ के मुद्दे पर निर्णय लेना होगा। इसके साथ ही, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने इस मुद्दे को उठाया और बताया कि इस परिषद के सदस्यों को नए वित्त वर्ष (आधार वर्ष) के बारे में विचार करना चाहिए।
1) GST की 5 दरें क्या हैं?
भारत में, GST परिषद के तहत लगभग 500 से भी ज्यादा सेवाएं और 1300 से अधिक उत्पाद हैं। इनमें से कुछ 5%, 12%, 18%, और 28% की दरों के तहत आते हैं। GST परिषद समय-समय पर वस्तुओं की दरें बदल देती है, जिससे उद्योगों की मांग और बाजार की आवश्यकताओं के हिसाब से सुधार किया जा सकता है।
2) GST के 4 प्रकार क्या हैं?
GST (जीएसटी) अर्थात् “सामान्य कर सेवा” को भारत में चार विभिन्न श्रेणियों में बाँटा गया है, जो राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच साझा किया गया है। CGST (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और SGST (स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स) राज्य सरकारों द्वारा वसूले जाते हैं,
जबकि UGST (यूनियन गुड्स एंड सर्विस टैक्स) और IGST (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स) विभिन्न राज्यों के बीच वसूले जाते हैं, जब सामान राज्यों के बीच ढूंढ़ते समय आता है। यह सिस्टम भारत में कर निगरानी में सुधार लाने का प्रयास है और एक सामान्य कर प्रणाली को प्रमोट करने का प्रयास करता है, जिससे वसूले जाने वाले करों में विस्तार और संयोजन हो सके।
3) 12% GST में क्या आता है?
यह नया GST परिषद का नियम लागू हुआ है ताकि हमारे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर और भी थोड़ा टैक्स बढ़ जाए। इससे चटनी, अचार, मक्खन, पनीर जैसी चीजें भी महंगी हो गई हैं। इसके अलावा, कुछ उच्च वर्ग की चीजें और सेवाएं भी इसी नए नियम के अंतर्गत आ गई हैं।
4) GST (जीएसटी) की लिमिट कितनी है?
यह सुधार कई छोटे व्यापारिकों के लिए फायदेमंद है, क्योंकि अब उन्हें अधिक से अधिक 1.5 करोड़ रुपए का टर्नओवर अपनाने की अनुमति है, जिससे वे Composition Scheme का लाभ उठा सकते हैं। यह स्कीम उन व्यापारीगण के लिए है जो जीएसटी के साथ सरलता चाहते हैं और टैक्स फाइलिंग में अधिक समय नहीं देना चाहते।
5) सरल शब्दों में GST (जीएसटी) क्या है?
GST एक तरह का कर है जो सरकार द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है जब वे बाजार में खरीदी जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं की वैल्यू का निर्धारण करना और उन पर योग्य कर लेना है। यह कर व्यापक है, ताकि सभी वस्तुएँ और सेवाएँ उसके प्राधिकृत नियमों के तहत आती हैं, जिससे ब्याज, उत्पाद शुल्क, और सेवा कर जैसे अन्य कई करों को समाहित किया जा सकता है।
6) किस प्रोडक्ट पर 40% GST है?
कोक, पेप्सी, और स्प्राइट जैसी मिठी ड्रिंक्स पर 40% कर लगता है क्योंकि इनमें ज्यादा मात्रा में चीनी होती है और उनकी मूल्य में उत्पाद शुल्क भी जोड़ा जाता है। विपरीत, फलों के रसों पर केवल 12% कर लगता है, क्योंकि ये सामान्यत: मौसमी फलों और सब्जियों के रूप में निर्मित होते हैं।
2014 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भारतीय किसानों को साथ लेकर विदेशी पेय कंपनियों से भारतीय फलों के पेय का समर्थन करने की बात की, जिससे खेती और किसानों को बढ़ावा मिल सकता है।
7) GST सबसे पहले कहाँ लागू हुआ?
1958 में, आइवरी कोस्ट में VAT का पहला प्रयोग किया गया, और फिर फ्रांस ने इस प्रणाली को अपने देश में भी लागू किया। इस नई वस्तु एवं सेवा कर (VAT) का सिस्टम हमारे वित्तीय प्रणाली को सुधारने का प्रयास था। आजकल, हम इसे जीएसटी (GST) के रूप में जानते हैं। इसका मतलब है कि फ्रांस वह पहला देश था जिसने अपने भीतर GST को लागू किया था, और यह एक महत्वपूर्ण कर का प्रणाली है जो आजकल विश्वभर में उपयोग में है।
8) GST की धारा 46 क्या है?
यह नोटिस जारी करने का उद्देश्य यह है कि व्यापारी लोग अपने वित्तीय जिम्मेदारियों को सजीवता से निभाएं और समय पर अपने कर रिटर्न जमा करें। यह सरकार के टैक्स कलेक्शन की प्रक्रिया को सुचारने और सुगम बनाने का भी हिस्सा है।
आपको ध्यान देना चाहिए कि यह नोटिस एक महत्वपूर्ण कानूनी जिम्मेदारी होती है, इसलिए आपको अपने कर रिटर्न को समय पर जमा करना बेहद महत्वपूर्ण है। आपके पास 15 दिन की समय सीमा होती है, इसलिए आपको इसे समय पर पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।
इससे आप न केवल सरकार के साथ संवाद को सुगम बना सकते हैं, बल्कि आपके कारोबार को भी स्थिरता और विश्वास मिलेगा क्योंकि आप नियमों का पालन कर रहे हैं।